(अजीत कुमार)

गांधीजी के जीवन शैली में जीवन यापन करने वाले ही उनके विचारो को जिंदा रखेंगे
सुभाष चंद्र बोस ने पहली बार गांधीजी को राष्ट्रपिता कह संबोधित किया था
म्योरपुर-सोनभद्र।म्योरपुर ब्लॉक के गोविंदपुर स्थित सामाजिक संस्थान बनवासी सेवा आश्रम में गुरुवार को विचित्रा महाकक्ष में तीन दिवसीय कार्यकर्ता विचार गोष्ठी का दीप प्रज्वलित कर किसान आंदोलन से जुड़े गांधी विचारक अविनाश काकडे और सर्व सेवा संघ के राष्ट्रीय मंत्री अरविंद कुशवाहा ने उद्घाटन किया।इस मौके पर उन्होंने कहा कि गांधी के जीवन को समझ कर उनके जीवन को जीने वाले ही उनके विचार को जीवित रख सकते है।गांधी कोई व्यक्ति नही बल्कि विचार है जिन्होंने किसी को अपना दुश्मन नही माना और ईश्वर ही सत्य है को बदल कर सत्य ही ईश्वर है के राह पर चल कर दिखाया। कहा की ईश्वर में निष्ठा रखने वाले गांधी ना मंदिर गए ना मस्जिद और ना ही गुरुद्वारा।फिर भी भगवान पर उनका अटूट विश्वास रहा वे आडंबर से दूर रहते थे। कहा कि जो लोग भी समाज में फैली बुराइयों के खिलाफ आवाज उठायी उसे ही समाज ने पहले नकारा बाद में उसे माना भी चाहे वो ज्योति बाई फुले रही हो चाहे विनोबा या सुकरात पर सत्य पर टिकने वाले ही अमर हुए है।

अरविंद कुशवाहा ने कहा कि गांधी ने प्रचलित सामाजिक नेकियों को अपनाया जो हजारों साल से चली आ रही भारतीय संस्कृति का हिस्सा थी।छुआ-छूत,जाति,असामनता के प्रति वे हमेशा लड़ते रहे महिलाओ को आगे लाने का काम किया उन्होंने कभी भी किसी धर्म का अनादर नही किया और सर्व धर्म समभाव का जीवन जीया ।कहा कि नेताओ को गलतियों की जिम्मेदारी खुद पर लेनी चाहिए और गांधी ने अपने आंदोलनों में ऐसा किया।शुभा प्रेम ने कहा कि हमारे विचारों में स्पष्टता होनी चाहिए। हम सब को मिल कर गांव और समाज तथा राष्ट्र बनता है हमे अच्छे काम करने चाहिए। समाज की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति हो बौद्धिक स्तर बढ़े यह हम सबका प्रयास हो और इसके लिए विचार पर मंथन होना चाहिए।इस मौके पर विमल कुमार सिंह, देवनाथ भाई,नीरा बहन,यश्वी पांडेय, रघुनाथ, उमेश चौबे ,रमेश यादव,केवला दुबे,मानमति,शांति बहन, कमला,संगीता सहित क्षेत्र के दर्जनों गांव के युवक ,युवतियां उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन देवनाथ भाई ने किया।
