हजारों शेष बचे कनहर विस्थापितों को तत्काल मिले मुआवजा

धन आवंटन न होने के लिए डबल इंजन सरकार जिम्मेदार

आइपीएफ ने राज्यपाल पत्र भेज हस्तक्षेप की अपील की

(प्रमोद कुमार)दुद्धी, सोनभद्र : आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के प्रदेश महासचिव दिनकर कपूर ने राज्य की संवैधानिक प्रमुख राज्यपाल को पत्र भेज महत्वाकांक्षी कनहर सिंचाई परियोजना हेतु पीएमकेएसवाई मद से धन आंवटन और कनहर के शेष बचे हजारों विस्थापितों को अतिशीघ्र मुआवजा देने व विस्थापित परिवारों में महिला मुखिया वाले परिवारों को भी शामिल करने की मांग की है। प्रेषित पत्र में राज्यपाल महोदया से हस्तक्षेप कर राज्य सरकार को दिशा निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। उनके संज्ञान में लाया गया है कि मुख्य बांध के निर्माण कार्य पूरा होने के साथ ही संपूर्ण डूब क्षेत्र को विस्थापितों से खाली कराया जा रहा है। जिसमें बड़ी संख्या ऐसे विस्थापितों की है जिनका प्रशासन की सूची में नाम है और प्रशासन का भी बयान है धनाभाव की वजह से मुआवजा नहीं दिया गया है। इसी प्रकार बेटियों के मुखिया वाले परिवारों को विस्थापित सूची में शामिल ही नहीं किया गया। विस्थापितों के अनुसार करीब 3100 परिवार प्रशासन की सूची में नाम दर्ज नहीं है। मुआवजा से वंचित विस्थापितों के सामने आजीविका का गंभीर संकट खड़ा हो गया है। इनके पास न तो आवास है और न ही किसी तरह के रोजीरोटी के साधन।

आइपीएफ नेता ने प्रेस को जारी वक्तव्य में कहा कि 6 साल से डबल इंजन की सरकार का प्रोपेगैंडा चल रहा है लेकिन इस अवधि में धनाभाव और लापरवाही के चलते न सिर्फ कनहर सिंचाई परियोजना पूरी होने में अनावश्यक रूप से देरी हो रही है जिससे किसान सिंचाई सुविधा से वंचित हैं बल्कि हजारों विस्थापितों को मुआवजा दिए बिना डूब क्षेत्र से हटा दिया गया जिससे वह बेघरबार हो गए। दरअसल धीमी गति से काम होने से परियोजना लागत करीब एक हजार करोड़ बढ़ गई जिससे 2016 में पूर्ववर्ती सरकार एवं नाबार्ड से आवंटित निर्धारित बजट पूर्णतया खत्म हो चुका है। पिछले एक वर्ष से प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना से मांगा गया 1050 करोड़ रूपया निर्गत कराने के लिए राज्य सरकार ने प्रस्ताव भेजा लेकिन केंद्र सरकार और राज्य सरकार किसी की भी दिलचस्पी न होने से धन आवंटन अधर में है। वास्तव में अगर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा इस मामले में रूचि दिखाई गई होती तो बहुत पहले ही धन आवंटन हो जाता, अगर किसी वजह से पीएमकेएसवाई मद से धन आवंटन न भी होता तो राज्य सरकार 6.75 लाख करोड़ के बजट से ही एक हजार करोड़ धनराशि का वैकल्पिक व्यवस्था कर सकती थी लेकिन मुख्यमंत्री और उत्तर प्रदेश सरकार की प्राथमिकता में कनहर परियोजना का तय समय में निर्माण और सभी विस्थापितों को न्याय मिले है ही नहीं।

ये भी पढ़िए