
उमाशंकर वैनी -सोनभद्र। महंगाई से तंग आकर गैस सिलेंडर न भरवा पाने के कारण लोग जंगलों से लकड़ी ढो कर किसी तरह चूल्हा जला रहे हैं। ऐसी तस्वीरें मानों उज्जवला योजना को मुंह चिढ़ा रही हैं। गैस सिलेंडर भरवाएं भी तो कैसे सिलेंडर का दाम आसमान छूने को बेताब हो रहा है।ऐसे में चावल दाल की व्यवस्था किया जाय कि 1180₹ का सिलेण्डर भराया जाए।वास्तव में इस समय जो महगांई का तांडव है इस से गरीब आदमी के लिए काफी परेशानी का सबब बना हुआ है। सुबह का भोजन बनाने के बाद गृहिणियां कुल्हाड़ी लेकर जंगल की तरफ रवाना हो जाती हैं,और शाम होते होते सिर पर लकड़ी का गट्ठर लिए रोज़ाना दिखाई दे जाते हैं।इस महगांई में करें भी तो क्या?
एक ओर सरकार जंगल लगाने पर लगी हुई है तो दूसरी तरफ लोग मजबुर, लाचार , बेबस होकर जंगल काटने पर मजबूर हैं।